दयाहीनं निष्फलं स्यान्नास्ति धर्मस्तु तत्र हि ।
एते वेदा अवेदाः स्यु र्दया यत्र न विद्यते ॥

अर्थार्थ:- बिना दया के किये गए काम का कोई फल नहीं मिलता, ऐसे काम में धर्म नहीं होता| जहाँ दया नही होती वहां वेद भी अवेद बन जाते हैं|

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

--> -->