गलती जीवन का एक पन्ना है
लेकिन रिश्ता पूरी एक किताब है
जरूरत पड़ने पर गलती का एक
पन्ना फाड़ देना,
लेकिन एक पन्ने के
लिए पूरी किताब कभी ना खो देना…

जीवन में ज्यादा रिश्ते
ज़रूरी नही हैं,
पर जो रिश्ते हों
उनमें जीवन होना
ज़रूरी है।

परिस्थितियाँ जितनी ज्यादा
आपको तोड़ती हैं..
उससे कहीं ज्यादा आपको
मजबूत बना देती हैं.

गुस्से में कभी गलत मत बोलो,
मूड तो ठीक हो ही जाता है,
पर बोली हुई बातें वापस
नही आती…

रिश्तों की सिलाई अगर
भावनाओं से हुई है
तो टूटना मुश्किल है
और अगर स्वार्थ से हुई है,
तो टिकना मुश्किल है

अकेले हो तो…
विचारों पर काबू रखो
और
सबके साथ हो…
तो जुबान पर काबू रखो…

प्रार्थना ऐसे करो जैसे सब कुछ
भगवान पर निर्भर करता है
और प्रयास ऐसे करो जैसे सब कुछ
आप पर निर्भर करता है…

सोच का ही फ़र्क होता है,
वरना समस्याएं आपको
कमजोर नही बल्कि मज़बूत
बनाने आती हैं…

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